Saturday, 25 January 2014

जिंदगी कब लाईफ बन गयी पता ही नहीं चला..

अभी थोडी देर पहले ही तो बचपन मुझे जवानी के घर छोड़ने आया था..

तब जो जीते थे, जिंदगी तो वही थी.. अब जो है उसे तो लोग बाग़ लाईफ कहते है.. पर फर्क दोनों में कुछ भी नहीं..

पहले हम इससे खेलते थे अब ये हमसे खेलती है..
ज़िन्दगी का फेवरेट गेम छुपम छुपाई..

#जिंदगी_१६mm

"खोया खोया सा रहता हू आजकल..
जबसे तुझे देखा है किसी और के साथ..
ज़िंदगी तू इतनी बद्चलन क्यो है.."

#हिमांशू_जी

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