आदमी को सिर्फ वहम है, पास उसके
ही इतना गम है
पूछो हंसते हुए चेहरों से, आंख भीतर से
कितनी नम ह....
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एक विजन रखो, बड़ा सोचो, Naysayers को इगनोर करो, कठोर परिश्रम करो और दुनिया को कुछ वापस दो…बदलो इस दुनिया को. क्योंकि अगर हम नहीं तो और कौन? ...
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" फुरसत तो बहुत थी , देश के लिए .... पर जब पेट भर गया ...... तो नींद सी आ गई .......!!.
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दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ , और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा .....
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