Wednesday, 31 July 2013

कभी अकेले था रास्ते पर ... मंजिल दिख रही थी ... आज जब साथी हैं तो मजा कुछ और है रास्ते का..

कभी अकेले था रास्ते पर ... मंजिल दिख रही थी ...
आज जब साथी हैं तो मजा कुछ और है रास्ते का..

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एक विजन रखो, बड़ा सोचो, Naysayers को इगनोर करो, कठोर परिश्रम करो और दुनिया को कुछ वापस दो…बदलो इस दुनिया को. क्योंकि अगर हम नहीं तो और कौन? ...