दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ ,
और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा .....
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एक विजन रखो, बड़ा सोचो, Naysayers को इगनोर करो, कठोर परिश्रम करो और दुनिया को कुछ वापस दो…बदलो इस दुनिया को. क्योंकि अगर हम नहीं तो और कौन? ...
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" फुरसत तो बहुत थी , देश के लिए .... पर जब पेट भर गया ...... तो नींद सी आ गई .......!!.
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दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ , और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा .....
Bhagwan ke ghar pr der par andher nhi
ReplyDeleteदोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ और मैं सच को लेकर श्याम तक बैठा रहा ----
ReplyDeleteशायर का नाम मेहरबानी करके बता दो ---
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